Register Now

Login

Lost Password

Lost your password? Please enter your email address. You will receive a link and will create a new password via email.

Captcha Click on image to update the captcha .

Add question

You must login to ask a question.

Login

Register Now

Register yourself to ask questions; follow and favorite any author etc.

“सम्मोहन में आटो सजेशन (Auto-Suggestion) क्या है?” – स्वामी शैलेन्द्र सरस्वती

प्रश्न- आटो सजेशन द्वारा सेल्फ हिप्नोसिस में कैसे जाएं, कैसे निगेटिव को निकालें, कैसे हम अपनी बीमारी को दूर करें? व कैसे हम सफलता पाएं?

इन्होंने बड़ी प्यारी बात कही, सम्मोहन का सारा खेल आटो सजेशन का है। वास्तव में दूसरा व्यक्ति कुछ नहीं करता, जो कुछ भी कर रहे हैं आप ही अपने लिए कर रहे हैं। दूसरा व्यक्ति सिर्फ सहयोग दे रहा है। आप शायद अपने से ज्यादा दूसरे पर भरोसा करते हैं इसलिए दूसरे की मौजूदगी सहयोग का काम करेगी, वास्तव में आपके ही मन का सारा खेल है।

समझो एक आदमी मंच पर जाने से माइक में बोलने पर भयभीत होता है। अब वो अपने आपको सजेस्ट कर रहा है, विजुआलाइज कर रहा है कि एक ऐसा दृश्य की मैं मंच पर गया जहां कि हजारों लोग बैठे थे, मैंने माइक उठाया और मैंने गीत गाया या मैं कुछ पांच मिनट बोला हूं बड़े कान्फिडेंस के साथ। तो वह इस चित्र को विजुआलाइज्ड कर रहा है खुद ही। बाहर से व्यक्ति हिप्नोटिस्ट है वह कह रहा है कि ऐसा-ऐसा करो। तो उसकी उपस्थिति में वह रिलेक्स होकर, क्योंकि उसको उस पर भरोसा है, इसलिए उसकी उपस्थिति में रिलेक्स हो गया और उसने इस सजेशन को खुद ही अपने आपको दिया।

इसमें मैं कहना चाहूंगा कि यहां पर हमारे मन का करीब बारह प्रतिशत हिस्सा चेतन मन है जिसको हम कांसस माइण्ड कहते हैं और 88 प्रतिशत हिस्सा सबकांसस है। जैसा कि डॅाक्टर वैश्य ने अभी कहा कि ये अपने ही मन के द्वारा अपने को दिया गया सुझाव है। तो अगर हमारा चेतन मन इस बात को स्वीकार कर लिया है कि मैं ये सजेशन अपने आपको देना चाहता हूं और तब वह रिलेक्स हो जाता है और हमारे चेतन मन के दरवाजे खुल जाते हैं। हमारा बड़ा हिस्सा कौन सा है 88 परसेंट अचेतन मन, अगर उसने किसी बात को स्वीकार कर लिया तब उसके परिणाम शीघ्रता से आने शुरू हो जाते हैं। चेतन मन की खूबी क्या है? ये बुद्धि, शिक्षा, संस्कार, तर्क-वितर्क, संदेह इनसे बना है, यहां पर हर चीज संदेह की कसौटी पर कसी जाती है।

समझो उस भयभीत व्यक्ति को जो मंच में जाने से घबराता है, जिसका गला सूख जाता है, भूल जाता है कि कौन सा गीत गाने जा रहा था। तो अगर हम उससे कहें कि नहीं-नहीं, तुम तो गा लोगे गाना तो उसका चेतन मन इस बात को अस्वीकार करेगा, उसके पुराने अनुभव बीच में आ जाएंगे। वो कहेंगे कि ये कैसे हो सकता है, मैं तो घबरा जाता हूं, मेरा तो गला सूख जाता है, मैं तो गीत ही भूल जाता हूं, पांव कांपने लगते हैं। तो चेतन मन संदेह करता है। अवचेतन मन जो है तो वहां संदेह नहीं है, वहां शिक्षा, संस्कार इत्यादि नहीं हैं। अवचेतन मन की खूबी है कि वह किसी सुझाव को अगर एक्सेप्ट करता है तो पूर्णतः एक्सेप्ट कर लेता है। वहां तर्क की कैंची नहीं है काटने वाली।

अगर उस अवचेतन मन का द्वार खुल गया और अब उससे मैंने कहा कि अब तुम पूरे कान्फीडेंस के साथ मंच पर जा सकोगे और तुम गीत भूलोगे नहीं, बिल्कुल आराम से गाओगे, तुमसे तो बहुत अच्छा गाते बनता है, उसके अचेतन मन ने यह बात स्वीकार ली बस। क्योंकि अचेतन मन बहुत पावरुुल है, करीब-करीब आठ-नौ गुना पावरुुल है। अचेतन मन कल्पन से चलता है, वहां तर्क नहीं है, वहां चित्र हैं, चित्रात्मक भाषा। इसलिए मैंने कहा कि हम उस व्यक्ति को सजेस्ट करेंगे कि तुम एक चित्र की कल्पना करो कि तुम मंच पर खड़े होकर सुंदर गीत गा रहे हो, बड़े भरोसे के साथ तुमने गाया और लोग तालियां बजा रहे हैं। ये चित्र जो है ये सीधा उसके सबकांसस माइण्ड में चला जाएगा। अगर इसने उसको रिपीट किया, आटोसजेशन, उसके अवचेतन मन ने उसे ग्रहण कर लिया तो वहां कोई तर्क नहीं है इसको काटने वाला। तो कोई भी विधायक सजेशन हम भीतर डाल सकते हैं। और फिर चेतन मन उसको फालो करता है। एक बात और यहां पर बताना चाहूंगा- जब भी चेतन और अवचेतन मन में, कांसस और सबकांसस में कानफ्लिक्ट होगा तो हमेशा सबकांसस जीतेगा क्योंकि वो बहुत बड़ा है। चेतन मन तो बहुत छोटा है, ऊपर-ऊपर की बहुत पतली सी सतह है वह। इसको कहते हैं आइसबर्ग फेनोमेनन। जैसे समुद्र में एक बर्फ की चट्टान तैर रही है तो उसके ऊपर का एक छोटा सा हिस्सा वन-टेन्थ दिखाई देता है, नौ हिस्सा नीचे पानी में डूबा होता है क्योंकि वो ज्यादा शक्तिशाली है। तो चेतन मन को बदलने की कोशिश शिक्षा के द्वारा हम करते हैं लेकिन वह सफलता छोटी सी है, अगर हम अवचेतन को बदल दें जो कि हिप्नोसिस में संभव है तब हमारी सफलता बहुत बड़ी होगी। तो जिन सांसारिक कार्यों में, अपने शरीर से संबंधित रोगों में, अपने मन से संबंधित आदतों में जहां हम असफल हो जा रहे हैं वहां अगर हमें हमारे अवचेतन मन का सहयोग मिल जाए तो हमारी सफलता कई गुनी ज्यादा बढ़ जाएगी। – स्वामी शैलेन्द्र सरस्वती

Leave a reply

Captcha Click on image to update the captcha .

By commenting, you agree to the Terms of Service and Privacy Policy.