Register Now

Login

Lost Password

Lost your password? Please enter your email address. You will receive a link and will create a new password via email.

Captcha Click on image to update the captcha .

Add question

You must login to ask a question.

Login

Register Now

Register yourself to ask questions; follow and favorite any author etc.

“गुरु, पैगम्बर, तीर्थंकर आदि होते हैं! फिर भी मनुष्य जाति सुधरती क्यों नहीं?” – स्वामी शैलेन्द्र सरस्वती

प्रश्न- एक मित्र ने पूछा है कि इतने गुरु, पैगम्बर, तीर्थंकर आदि होते हैं। फिर भी मनुष्य जाति सुधरती क्यों नहीं?
क्योंकि लोग सीखने के लिए तैयार ही नहीं होते। गौर से सुनना- सिखाने वाले कुछ सिखाते हैं और हम कुछ उल्टा सीख लेते हैं। महावीर नग्न रहे और आप जानते हैं महावीर को मानने वाले जो जैन हैं, वे सबसे ज्यादा कपड़े की दुकान करते हैं। भारत के सबसे ज्यादा वस्त्र व्यवसायी जैन हैं। उनके गुरु नग्न रहे, उन्होंने वस्त्र छोड़ दिए थे और जैनों का एक ही काम है कपड़ा बेचना। बड़ी विचित्र बात है। उन्होंने जो सिखाया उसका ठीक उल्टा हमने किया। जीसस ने कहा था कि कोई तुम्हारे एक गाल पर चांटा मारे तो दूसरा गाल उसके सामने कर देना। कोई तुम्हारा कोट छीने तो अपनी कमीज भी उसे दे देना। पता नहीं बेचारा संकोचवश मांग न रहा हो और इसाइयों ने इस धरती पर जो कोहराम मचाया है पिछले दो हजार सालों से। जितने यहूदियों की हत्या इसाइयों ने की है उसका कोई हिसाब नहीं।
प्रथम विश्व युद्ध जिसमें करोड़ों-करोड़ों लोग मारे गए। इन्हीं इसाई मुल्कों की कृपा से हुआ। दूसरा विश्व युद्ध जो प्रथम विश्व युद्ध से भी ज्यादा भयानक और खतरनाक था, इन्हीं इसाई मुल्कों की कृपा से हुआ और इनके गुरु ने इनको क्या समझाया था। कोई तुम्हारे एक गाल पर चांटा मारे तो दूसरा गाल आगे कर देना और अगर तीसरा विश्व युद्ध कभी होगा तो इन्हीं इसाइयों की वजह़ से होगा।
तो मत पूछो कि इतने धर्म के शिक्षक आते हैं फिर भी दुनिया बदलती क्यों नहीं, सुधरती क्यों नहीं?हम उनकी बात सुनते कहाँ हैं। हम तो अक्सर उल्टा कर देते हैं। बिल्कुल ठीक उल्टा कर देते हैं। मैंने सुना है एक अंग्रेजी के शिक्षक ने छात्र से पूछा- ‘एकटिव वाइस का पैसिव वाइस बनाओ।’ आई मेड ए मिस्टेक। इसका पैसिव वाइस बनाओ। छात्र ने कहा आई वाज मेड बाई मिस्टेक। हम कुछ ऐसा उल्टा-सीधा सीखते हैं। सिखाया कुछ गया था, हम कुछ और बड़ी भारी मिस्टेक कर देते हैं। एक संस्कृत का शिक्षक पूछ रहा है- तमसो मा ज्योतिर्गमय का अर्थ। एक लड़की ने कहा कि तमसो मा ज्योतिर्गमय का अर्थ है- तुम सो जाओ माँ मैं ज्योति के घर जा रही हूँ। सिखाने वाले ने क्या सिखाया और हमने क्या सीखा? उसमें जमीन-आसमान का अन्तर है।

– स्वामी शैलेन्द्र सरस्वती

Leave a reply

Captcha Click on image to update the captcha .

By commenting, you agree to the Terms of Service and Privacy Policy.