“ध्यान और विचार !” – ओशो
ध्यान चेतना की विशुद्ध अवस्था है- जहां कोई विचार नहीं होते, कोई विषय नहीं होता। साधारणतया हमारी चेतना विचारों से, विषयों से,कामनाओं से आच्छादित रहती है। जैसे कि कोई दर्पण धूल से ढका हो। हमारा मन एक सतत प्रवाह है- ...
Continue reading