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Exploring Inner Peace and Transformation through
Insights from Osho’s Teachings and his philosophies.

“किसी का अनुकरण (फॉलोईंग) नहीं ! स्वयं का स्वीकार ! ” ~ ओशो

पहली बात, पहली कड़ी, पहली जंजीर, पहली गांठ जो हर मनुष्य ने अपने ऊपर बांध ली है, वह है अंधश्रद्धा की, अंधेपन की, आंख बंद कर लेने की, अनुकरण की, फॉलोईंग की, किसी के पीछे जाने की, किसी का अनुयायी ...

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“अहंकार क्या है? त्याग और भोग के अहंकार में क्या अंतर है?” – ओशो

अहंकार आदमी की कमजोरी है। दंभ, ईगो आदमी की कमजोरी है। मैं कुछ हूं, यह आदमी की कमजोरी है। और जब तक कोई इस कमजोरी से घिरा है, तब तक वह किन्हीं मंदिरों की तलाश करे और किन्हीं शास्त्रों को ...

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“अभय होने का क्या अर्थ है? अभय कैसे हों? भय से कैसे मुक्त हों?” – ओशो

कुछ लोगों ने भय से मुक्त होने की कोशिशें की हैं, तो वे इस तरह के भय से मुक्त हो गए हैं जो और घबड़ाने वाले और हंसाने वाले हैं। एक आदमी भय से मुक्त होना चाहता है, तो एक ...

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“क्या गॉड फियरिंग, ईश्वर-भीरु होना धार्मिक व्यक्ति की पहचान है?” – ओशो

भय, फियर धार्मिक आदमी का लक्षण नहीं है, क्योंकि जो भयभीत है वह कभी सत्य को नहीं खोज सकेगा और न सत्य को जान सकेगा। जो भयभीत है, वह कभी इस योग्य नहीं हो पाता कि वह सत्य का साक्षात ...

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‘विवेक और विचार’ धर्म का आधार है, ‘श्रद्धा और विश्वास’ नहीं !! ~ ओशो

मनुष्य के मन को निर्माण करने वाली बातों में जो सबसे बड़ी बुनियादी भूल हो गई, जिसकी वजह से वह अपनी तरफ आंख भी नहीं उठा पाता और वे लोग जो निरंतर कहते हैं अपने को जानो, आत्मा ...

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“समाधि क्या है?” – स्वामी शैलेन्द्र सरस्वती

प्रश्न- एक मित्र ने पूछा है कि समाधि क्या है? इस प्रश्न का उत्तर देने के पहले समझ लो। समाधि का जो उल्टा होता है व्याधि। व्याधि क्या है? व्याधि यानि बीमारी। हमारी बीमारी है - शरीर और मन ...

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“गुरु, पैगम्बर, तीर्थंकर आदि होते हैं! फिर भी मनुष्य जाति सुधरती क्यों नहीं?” – स्वामी शैलेन्द्र सरस्वती

प्रश्न- एक मित्र ने पूछा है कि इतने गुरु, पैगम्बर, तीर्थंकर आदि होते हैं। फिर भी मनुष्य जाति सुधरती क्यों नहीं? क्योंकि लोग सीखने के लिए तैयार ही नहीं होते। गौर से सुनना- सिखाने वाले कुछ सिखाते हैं और ...

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“परिवारजनों, रिश्तेदारों और मित्रों से कलह हो जाती है, झगड़ा हो जाता है; क्या करें?” – स्वामी शैलेन्द्र सरस्वती

प्रश्न -परिवारजनों, मित्रों और रिश्तेदारों से मेरा अक्सर झगड़ा हो जाता है, किन्तु अजनबी लोगों के बीच में मैं अच्छा व्यवहार करता हूँ और सभी लोग मुझे एक अच्छा आदमी समझते हैं? महत्वपूर्ण सवाल है। एक व्यक्ति का नहीं, ...

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“जीवन जीने की कला !” – स्वामी शैलेन्द्र सरस्वती

जीवन जीने की कला संक्षेप में समझाएं? एक चुटकला सुनाता हूँ पहले, फिर संक्षेप में ही समझ में आ जाएगी बात। एक विद्यार्थी स्कूल में पहुँचा। एक पैर में लाल जूता पहना था, एक में काले रंग का। शिक्षक ...

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